Friday, December 14, 2012

Govt of India has ordered the different PIAs executing MGNREGA Scheme in Jalpaiguri Disrict of West Bengal, to go for online data entry. But the fact is that the VLEs engaged for Data Entries of the Scheme are not much familiar about the guidelines of the Act. Hence they are facing a huge problem in their work. I request all these guys to contact me frankly for any kind of their problem which is related to data entry of the scheme. They can e-mail to me or post their queries through this blog.

Wednesday, November 10, 2010

Thursday, November 4, 2010

डुआर्स के चाय बगान में फिर मौत का नंगा नाच आरम्भ

डूआर्स के बन्द पड़े चाय बागानों में श्रमिकों की बड़ी तादाद में हो रही मौत की खबरें आज किसी के लिए भी नयी बात नहीं है . किन्तु राज्य सरकार व केंद्र सरकार द्वारा इन चाय बागानों के श्रमिकों को दी जा रही आर्थिक मदद भी अब इसके लिए काफी नहीं दिख रही है. जलपाईगुड़ी जिले के कैरन चाय बगान में पिछले हफ्ते हुई आठ श्रमिकों की मौत ने सरकार के इन दावों की पोल खोल कर रख दी है की सरकार बंद चाय बागानों के श्रमिकों को लेकर गंभीर है . 
गौर तलब है की बंगाल के सबसे बड़े उत्सव दुर्गा पूजा के अवसर पर सभी चाय बागानों के प्रबंधक व मालिक गण श्रमिकों को बोनस दिया करते है एवं यह प्रथा एक लम्बे अरसे से चली आ रही है. जलपाईगुड़ी जिले के नागराकाटा प्रखंड अधीन कैरन चाय बगान के श्रमिक भी इसी चाहत के साथ यह आस लगाए बैठे थे की इस बार भी प्रबंधक तय समय व राशि के अनुसार उन्हें बोनस का भुक्तान कर देंगे लेकिन बात यहीं बिगड़ गयी. बगान प्रबंधक ने बोनस का भुक्तान तिन किस्तों में करने की बात कही जिससे नाराज श्रमिको ने भड़क कर आन्दोलन करना शुरू कर दिया जो प्रबंधको को पसंद नहीं आया व उन्होंने कानून व्यवस्था ठीक नहीं होने का हवाला देकर बगान में काम बंद कर दिया और छोड़ कर चले गए. यह घटना अक्तूबर महीने की दो तारिख की है . उसके बाद ही उकता चाय बगान में श्रमिको की मौत का सिलसिला शुरू हो गया. बगान के गोदाम लाइन, प्रेमनगर लाइन सहित कई अन्य श्रमिक लाइन में अभी तक कुल आठ लोगो की मौत हो चुकी है. बगान में कार्यरत चिकित्सक सुखें देबनाथ ने बताया की अभी तक हुई सभी मौतें बीमारी की वजह से हुई है और चिकित्सा व्यवस्था , एम्बुलेंस ,दवा की कमी की वजह से हुई है.
इधर इन खबरों की सूचना मिलते ही प्रशासनिक महल में अफरा तफरी मच गयी है.प्रखंड विकाश कार्यालय नागराकाटा के अधिकारीयों ने राहत के नाम पर कुछ चावल श्रमिकों में बितरित करना शुरू कर दिया है साथ ही चिकित्सा कर्मियों की टीम भी इलाके में  पहुँच गयी है.
किन्तु सोचने वाली बात यह है की शायद परिस्थिति स्वाभाविक हो जाए किन्तु इन मौतों का जिम्मेदार कौन होगा व उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी होगी या नहीं. क्यों की इस से पहले भी इसी जिले में कठालगुड़ी चाय बगान में भूख से हुई मौतों को लेकर सरकार की ओर कोई कार्यवाही नहीं हुई है. 

Thursday, October 14, 2010

nrega ki helpline sewa aarambha




  सौ दिन रोजगार योजना में राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले जलपाईगुड़ी जिले में आज से इस योजना को और भी कारगर बनाने के उद्देश्य से हेल्प लाइन का शुभ आरम्भ किया गया. इस हेल्प लाइन के माध्यम से इलाके के लोग सौ दिन रोजगार योजना की सही जानकारी प्राप्त कर सकेंगे. इसके अलावा इस से सम्बंधित अपनी शिकायतों को जिले में दर्ज भी करा सकेंगे. आज इस हेल्प लाइन की जानकारी देते हुए जिले के धुपगुड़ी प्रखंड के कार्यवाही प्रखंड अधिकारी विजय मोक्तान ने बताया की जिले के सभी बी एस एन एल के लैंड लाइन से इस नंबर को डायल कर साधारण आदमी महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार योजाना की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे.यह नंबर है १८००३४५३२१५. उन्होंने बताया की सभी कार्य दिवस में सुबह दस बजे से लेकर शाम पांच बजे तक यह सुविधा उपलब्ध रहेगी . उन्होंने उम्मीद जताई की इस सुविधा से इस योजना में पारदर्शिता बनी रहेगी.

Saturday, October 2, 2010

haathiyon ki sudh lene pahunche kendriya mantri

केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्री जय राम रमेश ने कल जलपाईगुड़ी जिले के मोराघाट चाय बगान के नजदीक हुई सात हाथियों की मौत वाले घटनास्थल का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने स्थानीय लोगो से बातचीत कर घटना की सही जानकारी लेने की कोशिश की . उन्होंने परिस्थिति की जानकारी लेने के बाद बताया की डुआर्स इलाके में लगातार हो रही वन्य प्राणियों की मौत चिंता का विषय है व इस को रोकने के लिए रेल , वन विभाग के स्थानीय लोगों को आपसी समन्वय स्थापित कर काम करने की jarurat  hai . unhone bataaya ki kendr  sarakaar isake liye har sambhaw sahaayata karane ko तैयार है . unhone shaniwaar ko rel mantri mamata bainarji se bhi is mudde par karane ka bharosha dilayaa. shri ramesh ne duaars ilaake me raat ke waqt rel n chalaane ka virodh karate hue kaha ki विकाश के लिए रेल और वन्य प्राणी दोनों की जरुरत है इसलिए दोनों बातों को ध्यान में रख कर काम करना चाहिए .

Tuesday, September 28, 2010

सात हाथियों की मौत से बौखलाए मुख्य मंत्री


जलपाईगुड़ी जिले के मोराघाट चाय बगान के नजदीक मालगाड़ी के धक्के से हुई सात हाथियों की मौत से भले ही राज्य के मुख्यमंत्री शोकाहात हो , लेकिन केंद्र सरकार से उस रुट पर रात में ट्रेन ना चलाने की अर्जी देकर उन्होंने एक बार फिर डुआर्स को रेल सेवा से वंचित रखने की पहल की है। गौरतलब है की जिले के बानारहाट और बिन्नागुड़ी रेल स्टेशनों के बीच इस माह की २३ तारीख को तड़के मालगाड़ी के धक्के से सात हाथियों की मौत हो गयी थी। इस दुर्घटना में मौके पर ही सात हाथियों की मौत हुई थी जिसके बाद स्वयं को पर्यावरण प्रेमी कहने वाले संगठनो ने रेल मंत्रालय को जिम्मेदार ठहराते हुए भरसक आलोचना की थी किन्तु कोई भी यह कहने का साहस न उठा सका की इस घटना के लिए रेल मंत्रालय के साथ - साथ वन विभाग भी सामान रूप से दोषी है, क्यों की जब हाथियों का झुण्ड जंगल से निकल कर जन वस्तियों की और बढ रहा था तब वन विभाग के कर्मचारी कहाँ सो रहे थे। क्यों नहीं समय रहते रेल को इसकी सूचना दी गयी और इस घटना को बचाया जा सकता था।

दूसरी ओरपिछड़े इलाको की गिनती में आने वाले डूआर्स के विकाश की यात्रा हाल ही में शुरू हुई है इसके बाद भी राज्य के मुख्य मंत्री का ऐसाबयान यहाँ के लोगों के मन को दुखी करता है ।

Monday, July 5, 2010

भा ज प़ा और वाम पंथी दलों द्वरा महंगाई के विरुद्ध बुलाये गए बांध से आज पुरे भारत में अच्छा असर देखने को मिला । किन्तु सोछाने की बात है की इस बंद से भारत की आम जनता को क्या हासिल हुआ ? महंगाई कम हो या न हो किन्तु आज के बंद से भारत की अर्थ व्यवस्था को कितना नुकसान पहुंचेगा , और इस की भर पी भी सरकारें आम आदमी की जेब से ही करेगी। तो कुल मिलके बोझ तो आम आदमी के कन्धों पर ही आएगा।
बंद के बाद मुरली मनोहर जोशी और वाम पंथी नेता विमान बासु ने इस बंद को एतिहासिक करार देते हुए कहा की आम आदमी ने खुद ही इस बंद का समर्थन किया है , किन्तु सच्चाई इससे कोसो दूर है बंद समर्थको की गुंडा गर्दी और तोड़ फोड़ से डरी जनता ने आज सडकों par निकलने की कोशिश नहीं की । आज वक्त आ गया है की आम आदमी को यह फैसला लेना पड़ेगा की उनकी किस्मत और जीवन की दास्ताँ यह अपना मतलब साधने वाले नेता ही करेंगे या उनको खुद ही आगे आन की जरुरत है।
मेरी समझ के अनुसार आज देश की एक बड़ी आबादी युवाओं की है और देश को आगे लेन के लिए इसी tadad को आगे aane की जरुरत है.