डूआर्स के बन्द पड़े चाय बागानों में श्रमिकों की बड़ी तादाद में हो रही मौत की खबरें आज किसी के लिए भी नयी बात नहीं है . किन्तु राज्य सरकार व केंद्र सरकार द्वारा इन चाय बागानों के श्रमिकों को दी जा रही आर्थिक मदद भी अब इसके लिए काफी नहीं दिख रही है. जलपाईगुड़ी जिले के कैरन चाय बगान में पिछले हफ्ते हुई आठ श्रमिकों की मौत ने सरकार के इन दावों की पोल खोल कर रख दी है की सरकार बंद चाय बागानों के श्रमिकों को लेकर गंभीर है .
गौर तलब है की बंगाल के सबसे बड़े उत्सव दुर्गा पूजा के अवसर पर सभी चाय बागानों के प्रबंधक व मालिक गण श्रमिकों को बोनस दिया करते है एवं यह प्रथा एक लम्बे अरसे से चली आ रही है. जलपाईगुड़ी जिले के नागराकाटा प्रखंड अधीन कैरन चाय बगान के श्रमिक भी इसी चाहत के साथ यह आस लगाए बैठे थे की इस बार भी प्रबंधक तय समय व राशि के अनुसार उन्हें बोनस का भुक्तान कर देंगे लेकिन बात यहीं बिगड़ गयी. बगान प्रबंधक ने बोनस का भुक्तान तिन किस्तों में करने की बात कही जिससे नाराज श्रमिको ने भड़क कर आन्दोलन करना शुरू कर दिया जो प्रबंधको को पसंद नहीं आया व उन्होंने कानून व्यवस्था ठीक नहीं होने का हवाला देकर बगान में काम बंद कर दिया और छोड़ कर चले गए. यह घटना अक्तूबर महीने की दो तारिख की है . उसके बाद ही उकता चाय बगान में श्रमिको की मौत का सिलसिला शुरू हो गया. बगान के गोदाम लाइन, प्रेमनगर लाइन सहित कई अन्य श्रमिक लाइन में अभी तक कुल आठ लोगो की मौत हो चुकी है. बगान में कार्यरत चिकित्सक सुखें देबनाथ ने बताया की अभी तक हुई सभी मौतें बीमारी की वजह से हुई है और चिकित्सा व्यवस्था , एम्बुलेंस ,दवा की कमी की वजह से हुई है.
इधर इन खबरों की सूचना मिलते ही प्रशासनिक महल में अफरा तफरी मच गयी है.प्रखंड विकाश कार्यालय नागराकाटा के अधिकारीयों ने राहत के नाम पर कुछ चावल श्रमिकों में बितरित करना शुरू कर दिया है साथ ही चिकित्सा कर्मियों की टीम भी इलाके में पहुँच गयी है.
किन्तु सोचने वाली बात यह है की शायद परिस्थिति स्वाभाविक हो जाए किन्तु इन मौतों का जिम्मेदार कौन होगा व उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी होगी या नहीं. क्यों की इस से पहले भी इसी जिले में कठालगुड़ी चाय बगान में भूख से हुई मौतों को लेकर सरकार की ओर कोई कार्यवाही नहीं हुई है.
इधर इन खबरों की सूचना मिलते ही प्रशासनिक महल में अफरा तफरी मच गयी है.प्रखंड विकाश कार्यालय नागराकाटा के अधिकारीयों ने राहत के नाम पर कुछ चावल श्रमिकों में बितरित करना शुरू कर दिया है साथ ही चिकित्सा कर्मियों की टीम भी इलाके में पहुँच गयी है.
किन्तु सोचने वाली बात यह है की शायद परिस्थिति स्वाभाविक हो जाए किन्तु इन मौतों का जिम्मेदार कौन होगा व उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी होगी या नहीं. क्यों की इस से पहले भी इसी जिले में कठालगुड़ी चाय बगान में भूख से हुई मौतों को लेकर सरकार की ओर कोई कार्यवाही नहीं हुई है.
No comments:
Post a Comment