भा ज प़ा और वाम पंथी दलों द्वरा महंगाई के विरुद्ध बुलाये गए बांध से आज पुरे भारत में अच्छा असर देखने को मिला । किन्तु सोछाने की बात है की इस बंद से भारत की आम जनता को क्या हासिल हुआ ? महंगाई कम हो या न हो किन्तु आज के बंद से भारत की अर्थ व्यवस्था को कितना नुकसान पहुंचेगा , और इस की भर पी भी सरकारें आम आदमी की जेब से ही करेगी। तो कुल मिलके बोझ तो आम आदमी के कन्धों पर ही आएगा।
बंद के बाद मुरली मनोहर जोशी और वाम पंथी नेता विमान बासु ने इस बंद को एतिहासिक करार देते हुए कहा की आम आदमी ने खुद ही इस बंद का समर्थन किया है , किन्तु सच्चाई इससे कोसो दूर है बंद समर्थको की गुंडा गर्दी और तोड़ फोड़ से डरी जनता ने आज सडकों par निकलने की कोशिश नहीं की । आज वक्त आ गया है की आम आदमी को यह फैसला लेना पड़ेगा की उनकी किस्मत और जीवन की दास्ताँ यह अपना मतलब साधने वाले नेता ही करेंगे या उनको खुद ही आगे आन की जरुरत है।
मेरी समझ के अनुसार आज देश की एक बड़ी आबादी युवाओं की है और देश को आगे लेन के लिए इसी tadad को आगे aane की जरुरत है.
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