आज एक बार फिर एक हाथी का शावक अपनी जिंदगी की जंग हार गया । लगभग एक साल सात महीने की उम्र वाले इस हाथी शावक की मौत कल रात १३३० बजे गोरुमारा अभयारण के धुपझोरा इलाके में हो गई । जिला वन दफ्तर के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अरण्यक नामक इस हाथी शावक को गत ३० जून को जिले के धुपगुड़ी के रामसाई इलाके से जलढाका नदी से बरामद किया गया था । इसके बाद इसे गोरुमारा अभ्यारण के धुपझोरा के कैंप में रखा गया था। वन दफ्तर के इन विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार अरण्यक को दूध पिलाने की लिए उसे फूलमती नामक पालतू हथिनी के पास रखा गया था किंतु इस हथिनी को ख़ुद का एक बच्चा होने की वजह से उसने अरण्यक को दूध पिलाने से मना कर दिया जिसके वजह से शारीरिक रूप से कमजोर हो चुके अरण्यक ने कल रात दम तोड़ दिया। घटना के सन्दर्भ में जिला वन अधिकारी तापश दास ने बताया की माँ का दूध नही मिलाने की वजह से अरण्यक के लिबर व किडनी ख़राब हो चुके थे जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई।
अरण्यक की इस मौत की वजह से वन प्राणियों की रक्षा करने पर जोर देने वाले संगठनो ने जिला वन विभाग की कार्य शैली पार्ट प्रश्न खडा करना शुरू कर दिया है । गौरे तलब है की पिचले दो वर्षों हाथी शवाक की मौत का यह तीसरा मामला है। इस से पहले सितम्बर २००८ व जनवरी २००८ में क्रमश गणेशी व कोजागर नामक हाथी शावक की मौत हो गई थी ।
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